सेवा धर्म का पावन मास वैशाख की महिमा- महात्म्य

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May 31, 2017
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November 2, 2020

(दिनांक-8 अप्रैल से 7 मई 20)

जैसे विद्याओं में वेद-विद्या, मन्त्रों में प्रणव,वृक्षों में कल्पवृक्ष, धेनुओं में कामधेनु,देवताओं में विष्णु, वर्गों में ब्राह्मण,प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गङ्गाजी, तेजों में सूर्य, अस्त्र-शस्त्रों में चक्र, धातुओं में सुवर्ण, वैष्णवों में शिव तथा रत्नोंमें कौस्तुभमणि है
उसी प्रकार धर्म सेवा कर्म के साधनभूत महीनों में वैशाखमास सबसे उत्तम है।

संसार में इसके समान भगवान् विष्णुको प्रसन्न करने वाला दूसरा कोई मास नहीं है। जो वैशाखमास में सूर्योदय से पहले स्नान करता है,
उससे भगवान् विष्णु निरन्तर प्रीति करते हैं। पाप तभीतक गर्जते हैं, जब तक जीव वैशाख मास में प्रात:काल जल में स्नान नहीं करता।
वैशाख के महीने में सब तीर्थ आदि देवता (तीर्थ के अतिरिक्त)
बाहर के जल में भी सदैव स्थित रहते हैं। भगवान् विष्णु की आज्ञा से मनुष्यों का कल्याण करने के लिये वे सूर्योदय से लेकर छः दण्ड के भीतर तक वहाँ मौजूद रहते हैं…हमें सुबह की वेला में स्नान करके एक गरीब परिवार के लिए दान का संकल्प करना चाहिए।

वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग
नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गङ्गाजी के समान कोई
तीर्थ नहीं है।जल और भोजन के समान दान नहीं है खेती के समान धन नहीं है और जीवन से बढ़कर कोई लाभ नहीं है। उपवास के समान कोई तप नहीं, दान से बढ़कर कोई सुख नहीं, दयाके समान धर्म नहीं,धर्म के समान मित्र नहीं, सत्य के समान यश नहीं, आरोग्य के समान उन्नति नहीं, भगवान् विष्णु से बढकर कोई रक्षक नहीं और वैशाख मास के समान संसार में कोई पवित्र मास नहीं है ऐसा विद्वानो ने कहा है।

Upkar sansthan ट्रस्ट परिवार आपसे प्रार्थना करता है कि ऐसे पवित्र मास में दान पुण्य कर अपना मनुष्य जीवन धन्य करें। आज पूरे देश में कोरोना की वजह से लाखों गरीबों के सामने रोटी की समस्या आई हुई है अतः आप और हम मिलकर इस पुनीत पावन मास में पुण्य अर्जन का कर्म करें।
आपको दान के बदले income tax में छूट मिलेगी

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